वो जो उनमें हल्का हल्का गुरूर है.. सब मेरी तारीफ का कुसूर है..।।
Category: वक़्त शायरी
नजर की बात है
नजर-नजर की बात है कि किसे क्या तलाश है, तू हंसने को बेताब है, मुझे तेरी मुस्कुराहटों की ही प्यास हैं…
तेरे दर से मिला है
रुतबा मेरे सर को तेरे दर से मिला है,हलाकि ये सर भी मुझे तेरे दर से मिला है,ऒरो को जो मिला है वो मुकदर से मिला है,हमें तो मुकदर भी तेरे दर से मिला है
मुसीबतों से उभरती है
मुसीबतों से उभरती है शख्सियत यारो… जो चट्टानों से न उलझे वो झरना किस काम का…
ये सोच हमेशा
ये सोच हमेशा कायम रखना दोस्तों राह चलती अकेली लड़की मौका नहीं एक जिम्मेदारी है
हमसे बिछड़ के
हमसे बिछड़ के वहाँ से एक पानी की बूँद न निकली तमाम उम्र जिन आँखों को हम, झील कहते रहे।
जिंदगी में सिर्फ
उल्फ़त, मोहब्बत, अश्क, वफ़ा, अफ़साने.. लगता है वो आयी थी जिंदगी में सिर्फ ऊर्दू सिखाने।
रात भर चलती
रात भर चलती रहती है अब उंगलियाँ मोबाईल पर…! किताब सीने पर रखकर सोये हुए तो एक जमाना गुजर गया….!!!
दिल में चाहत
दिल में चाहत का होना भी लाज़मी है वरना, याद तो दुश्मन भी रोज़ किया करते है.
अजीब खेल है
अख़बार का भी अजीब खेल है सुबह अमीर की चाय का मजा बढाता है और रात में गरीब के खाने की थाली बन जाता है…!