अब कोई नक्शा नही उतरेगा इस दिल की दीवार पर….!! तेरी तस्वीर बनाकर कलम तोड़ दी मैंने…
Category: वक्त-शायरी
आज फिर मुमकिन नही
आज फिर मुमकिन नही कि मैं सो जाऊँ… यादें फिर बहुत आ रही हैं नींदें उड़ाने वाली
उम्मीद न कर इस दुनिया मेँ
उम्मीद न कर इस दुनिया मेँ, किसी से हमदर्दी की..!! बड़े प्यार से जख्म देते हैँ, शिद्दत से चाहने वाले…!!
अब डर लगता है
अब डर लगता है मुझे उन लोगो से… जो कहते है, मेरा यक़ीन तो करो…!!
सहम उठते हैं
सहम उठते हैं कच्चे मकान, पानी के खौफ़ से, महलों की आरज़ू ये है की, बरसात तेज हो…
रहने दो अब कोशिशे
रहने दो अब कोशिशे , तुम मुझे पढ़ भी ना सकोगे.. बरसात में कागज की तरह भीग के मिट गया हूँ मैं…
जीब लहजे में
जीब लहजे में पूछी थी खैरियत उसने…जवाब देने से पहले छलक गई आँखें मेरी…
नज़र बन के कुछ
नज़र बन के कुछ इस क़दर मुझको लग जाओ..!! कोई पीर की फूँक न पूजा न मन्तर काम आये….!!!!
उन्होंने बहुत कोशिश की
उन्होंने बहुत कोशिश की, मुझे मिट्टी में दबाने की लेकिन उन्हें मालूम नहीं था कि मैं “बीज” हूँ…..
शुक्र है ख़्वाबों ने
शुक्र है ख़्वाबों ने रात सम्भाली हुई है वरना.. नींद किसी काम की नहीं यारों ..