मेरा दिल चाँद जेसा

मेरा दिल चाँद जेसा कैसे हो जिन्दगी ने रहो में कई आफताब खड़े किये

चल आ तेरे पैरो पर

चल आ तेरे पैरो पर मरहम लगा दूं ऐ मुक़द्दर. कुछ चोटे तुझे भी तो आई ही होगी, मेरे सपनो को ठोकर मारते मारते !

न जाने किसने

न जाने किसने, पढ़ी है मेरे हक़ में दुआ… आज तबियत में जरा आराम सा है…

तुझे रात भर

तुझे रात भर ऐसे याद करता हूँ मैं जैसे सुबह इम्तेहान हो मेरा ।

हुस्न वालों का

हुस्न वालों का वजन ही इतना होता है कि दिल में बैठाते ही दिल टूट जाता है |

बस इसी बात पे

बस इसी बात पे फांसला रखा मैं ने.. वो..करीब था..हर किसी के..!!

फ़रार हो गई होती

फ़रार हो गई होती कभी की रूह मेरी ! बस एक जिस्म का एहसास रोक लेता है !!

ज़िँदगी का खेल अकेले नहीँ

ज़िँदगी का खेल अकेले नहीँ खेला जाता.. हमारी तो टीम है आ जाओ या बुला लो . . .

वैसे ही दिन वैसी ही रातें

वैसे ही दिन वैसी ही रातें ग़ालिब, वही रोज का फ़साना लगता है महीना भी नहीं गुजरा और यह साल अभी से पुराना लगता है……

हमको अब उनका…

हमको अब उनका…. वास्ता ना दीजिए …. हमारा अब उनसे…. वास्ता नहीं…

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