घर न जाऊं किसी के

घर न जाऊं किसी के तो रूठ जातें हैं बड़े बुजुर्ग गावों में….. गांव की मिटटी में अब भी वो तहज़ीब बाकी है.

धुप में रहने वाले

धुप में रहने वाले जल्दी निखर जाते है, छाया में रहने वाले जल्दी बिखर जाते है !!

फ़साना ये मुहब्बत का

फ़साना ये मुहब्बत का है अहसासों पे लिख जाना…. छलकते जाम चाहत के मेरी प्यासों पे लिख जाना…

शायरी मांगती है

हमसे पूंछो शायरी मांगती है कितना लहू, लोग समझते हैं कि धंधा बड़े आराम का है।

आते हैं दिन हर किसी के

आते हैं दिन हर किसी के बेहतर, जिंदगी के समंदर में हमेशा तूफान नही रहते।

इश्क है तो इश्क का

इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिये…. आपको चेहरे से भी बीमार होना चाहिये…

आप दरिया हैं

आप दरिया हैं तो फिर इस वक्त हम खतरे में हैं…. आप कश्ती हैं तो हमको पार होना चाहिये…

ऐरे गैरे लोग

ऐरे गैरे लोग भी पढ़ने लगे हैं इन दिनों… आपको औरत नहीं अखबार होना चाहिये…

रात होने से

रात होने से भी कहीं पहले….चाँद मेरा नजर तो आया है…

जख्म कैसे दिखाऊं

जख्म कैसे दिखाऊं ये तुमको…. सबने मिल के मुझे सताया है…

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