घर न जाऊं किसी के तो रूठ जातें हैं बड़े बुजुर्ग गावों में…..
गांव की मिटटी में
अब भी वो तहज़ीब बाकी है.
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
घर न जाऊं किसी के तो रूठ जातें हैं बड़े बुजुर्ग गावों में…..
गांव की मिटटी में
अब भी वो तहज़ीब बाकी है.