इश्क का हफ़्ता

इश्क का हफ़्ता गुज़र गया, नफ़रतों का पूरा साल बाकी है…!!

ज़िदगी जीने के लिये

ज़िदगी जीने के लिये मिली थी, लोगों ने सोचने में ही गुज़ार दी….

इस अदा से

कुछ इस अदा से तोड़े है ताल्लुक उसने, एक मुद्दत से ढूंढ़ रहा हूँ कसूर अपना !!

आँख बंद करके

आँख बंद करके चलाना खंजर मुझ पे, कही मैं मुस्कुराया तो तुम पहले मर जाओगे.

रास्ता दे दीजिये जनाब

धडकनो को भी रास्ता दे दीजिये जनाब, आप तो सारे दिल पर कब्जा किये बैठे है

हम तो समझे थे

हम तो समझे थे कि इक ज़ख़्म है भर जाएगा क्या ख़बर थी कि रग-ए-जाँ में उतर जाएगा

माँ की इच्छा

माँ की इच्छा महीने बीत जाते हैं साल गुजर जाता है वृद्धाश्रम की सीढ़ियों पर मैं तेरी राह देखती हूँ। आँचल भीग जाता है मन खाली खाली रहता है तू कभी नहीं आता तेरा मनीआर्डर आता है। इस बार पैसे न भेज तू खुद आ जा बेटा मुझे अपने साथ अपने घर लेकर जा। तेरे… Continue reading माँ की इच्छा

खुशियाँ अभी ज़िंदा हैं

सारी खुशियाँ अभी ज़िंदा हैं मेरे दामन में क्यों के माँ बाप का साया है मेरे आँगन में

गरीब लगती है

कमी लिबास की तन पर अजीब लगती है, मुझे अमीर बाप की बेटी गरीब लगती है

जिस के होने से

जिस के होने से मैं खुद को मुक्कमल मानता हूँ मेरे रब के बाद मैं बस मेरी माँ को जानता हूँ !!!

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