एक अजीब सी जंग

एक अजीब सी जंग छिड़ी है रात के आलम में, आँख कहती है सोने दे, दिल कहता है रोने दे..!

कबर की मिट्टी

कबर की मिट्टी हाथ में लिए सोच रहा हूं; लोग मरते हैं तो गुरूर कहाँ जाता है!!!

खुश मिज़ाज लोग

खुश मिज़ाज लोग टूटे हुए होते हैं अंदर से… बहुत रोते हैं वो जिनको लतीफे याद रहते हैं…

बहुत शौक था

बहुत शौक था हमें सबको जोडकर रखने का होश तब आया जब खुद के वजूद के टुकडे देखे..

ज़िन्दगी जब चुप सी रहती है

ज़िन्दगी जब चुप सी रहती है मेरे खामोश सवालो पर… तब दिल की जुबाँ स्याही से पन्नें सजाती है..!!

अब तो परिन्दे भी

अब तो परिन्दे भी इश्क करते है बिजली के तारो पर … पेड़ की ड़ालियाँ अब कहाँ बची है मेरे शहर मे

जब तक ये दिल

जब तक ये दिल तेरी ज़द में है तेरी यादें मेरी हद में हैं। तुम हो मेरे केवल मेरे ही हर एक लम्हा इस ही मद में है । है दिल को तेरी चाह आज भी ये ख्वाब ख्वाहिश-ऐ- बर में है । मुहब्बत इवादत है खुदा की और मुहोब्बत उसी रब में है।

तेरी मुस्कुराहट पे

तेरी मुस्कुराहट पे दिल जानिश़ार हैं तेरी मोहब्बत पे हम यू गिरफ्तार हैं!

कुछ भी बचा न कहने को

कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई.., आओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई..!!

हम भी वही होते हैं

हम भी वही होते हैं, रिश्ते भी वही होते हैं, और रास्ते भी वही होते हैं, बदलता है तो बस….. समय, एहसास, और नज़रिया…!!

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