दिल गया था

दिल गया था तो ये आँखें भी कोई ले जाता मैं फ़क़त एक ही तस्वीर कहाँ तक देखु|

ये सोचना ग़लत है

ये सोचना ग़लत है कि तुम पर नज़र नहीं, मसरूफ़ हम बहुत हैं मगर बे-ख़बर नहीं।

चल ओ रे मांझी

चल ओ रे मांझी तू चल । अपनी राहों को बनाके एक कश्ती हर पल न दे के हवाला की क्या होगा यहाँ कल कुछ अधूरी ख्वाईशो मे भर और बल कभी उन्हें अपना बना,उनके रंगों मे ढल युही हर मोड़ हर शहर हर डगर मुसलसल कर कुछ तू यु पहल चल ओ रे मांझी… Continue reading चल ओ रे मांझी

वो कहानी थी

वो कहानी थी, चलती रही, मै किस्सा था, खत्म हो गया…!!!

रूह के रिश्तों की

रूह के रिश्तों की यही खासियत रही है.. महसूस हो ही जाती है जो बात अनकही है…!!

कलम में जोर जितना है

कलम में जोर जितना है जुदाई की बदौलत है… मिलने के बाद लिखने वाले लिखना छोड़ देते हैं…

क़यामत है उसने

क़यामत है उसने नज़र भी मिलाई हमें लग रहा था कि बस बात होगी|

मुमकिन नहीं के

मुमकिन नहीं के तू हो मुकम्मल मेरे बगैर !! ए ख्याल-ए-यार मेरे संग संग चल……!!

मेरे वजूद मे

मेरे वजूद मे काश तू उतर जाए मे देखु आईना ओर तू नजर आए तू हो सामने और वक्त्त ठहर जाए, ये जिंदगी तुझे यू ही देखते हुए गुजर जाए

जा भूल जा तू मुझे …

जा भूल जा तू मुझे ……..तुझे इजाज़त है हम भी याद करने से पहले कौन सा पूछा करते हैं !!

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