लाजमी तो नही है…कि तुझे आँखों सेही देखूँ.. तेरी याद का आना भी तेरे दीदार से कम नही…।” लाजमी तो नही है…कि तुझे आँखों सेही देखूँ.. तेरी याद का आना भी तेरे दीदार से कम नही…।”
Category: जिंदगी शायरी
मुद्दत हो गयी
मुद्दत हो गयी, कोइ शख्स तो अब ऐसा मिले, बाहर से जो दिखता हो, अन्दर भी वैसा ही मिले…
याद का आना भी
लाजमी तो नही है…कि तुझे आँखों सेही देखूँ.. तेरी याद का आना भी तेरे दीदार से कम नही…।”
मै तो बस
मै तो बस अपनी हकीकत लिखता हूँ…. और लोग कहते है… तुम शायरी अच्छी लिखते हो….
तुम शराफत को
तुम शराफत को बाजार मे न लाया करो , ये वो सिक्का है जो कभी बाजार मे चला ही नही । अक्सर दिमाग वालों ने दिलवालो का इस्तेमाल ही किया है ।
अजीब सा दर्द
अजीब सा दर्द है इन दिनों यारों, न बताऊं तो ‘कायर’, बताऊँ तो ‘शायर’।।
शुक्र करो कि
शुक्र करो कि दर्द सहते हैं, लिखते नहीं….!! वर्ना कागजों पे लफ्जों के जनाजे उठते…
तारीफ़ करें खुदा
औकात क्या जो लिखूं नात आका की शान में। खुद तारीफ़ करें खुदा मुस्तफ़ा की कुरान में। और कीड़े पड़ेंगे देखना तुम उसकी ज़बान में। गुस्ताख़ी करता हैं जो मेरे आका की शान मे।
माँ-बाप घर पर है
वो अनजान चला है जन्नत को पाने की खातिर बेख़बर को इत्तला कर दो की माँ-बाप घर पर है|
मुझे भी कुछ
मुझे भी कुछ गहरा सा..!! . . ऐ बेवफा . . जिसे कोई भी पढे., समझ बस तुम सको..!!