आवाज को नहीं , अपने अलफ़ाज़ को ले जाओ बुलंदी पर ।।। बादलों की गरज नहीं , बारिश की बौछार फूल खिलाती है ।।।
Category: गरूर शायरी
मंजिल पाना तो बहुत दूर की बात है
मंजिल पाना तो बहुत दूर की बात है.. गुरुर में रहोगे तो रास्ते भी न देख पाओगे…
जो रूप आपको अच्छा लगे वो अपना लें
जो रूप आपको अच्छा लगे वो अपना लें… हमारी शख्सियत कांटा भी है, गुलाब भी है |
हम ईंट-ईंट को दौलत से लाल कर देते
हम ईंट-ईंट को दौलत से लाल कर देते, अगर ज़मीर की चिड़िया हलाल कर देते।
जनाब मत पूछिये
जनाब मत पूछिये हद हमारी गुस्ताकियो की… हम आईना जमी पर रखकर आसंमा कुचल देते है
शख्सियत अच्छी होगी तभी दुश्मन बनेंगे
शख्सियत अच्छी होगी तभी दुश्मन बनेंगे, वरना बुरे की तरफ देखता कौन है..
गरूर तो मुझमे भी था कही ज्यादा
गरूर तो मुझमे भी था कही ज्यादा।। मगर सब टुट गया तेरे रूठने के बाद।।
लड़ता आया हूँ
बस यही सोच कर हर मुश्किलो से लड़ता आया हूँ.. धूप कितनी भी तेज़ हो समन्दर नहीं सूखा करते..!!!
बसेरा है तेरे शहर मेँ
अजीब लोगोँ का बसेरा है तेरे शहर मेँ, गुरूर मेँ मिट जाते हैँ मगर याद नहीँ करते…