कंद-मूल खाने वालों से

कंद-मूल खाने वालों से मांसाहारी डरते थे।। पोरस जैसे शूर-वीर को नमन ‘सिकंदर’ करते थे॥ चौदह वर्षों तक खूंखारी वन में जिसका धाम था।। मन-मन्दिर में बसने वाला शाकाहारी राम था।। चाहते तो खा सकते थे वो मांस पशु के ढेरो में।। लेकिन उनको प्यार मिला ‘ शबरी’ के जूठे बेरो में॥ चक्र सुदर्शन धारी… Continue reading कंद-मूल खाने वालों से

पलकों में कैद कुछ सपने हैं

पलकों में कैद कुछ सपने हैं , कुछ बेगाने और कुछ अपने हैं , ना जाने क्या कशिश है इन ख्यालों में , कुछ लोग दूर हो भी अपने हैं .

Work isn’t to make money

Work isn’t to make money,you work to justify life

भले ही कोशिशें करो समझदार बनने की

भले ही कोशिशें करो  समझदार बनने की, लेकिन खुशियाँ बेवकूफियों से ही मिलेगी

एक पुत्र ने दो खूबसुरत पंक्तियां लिखी

एक पुत्र ने दो खूबसुरत पंक्तियां लिखी पिता की मौजदगी सूरज की तरह होती है, सूरज गरम जरुर होता है पर अगर न हो तो अँधेरा छा जाता है|

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