न चमन है

न चमन है , न गुल है ,न मौसम-ए-बहार है मेरी भी जिंदगी क्या खूब है – सिर्फ इन्तजार है।

अपना मुक़द्दर ग़म से

अपना मुक़द्दर ग़म से बेग़ाना अगर होता तो फिर अपने-पराए हमसे पहचाने कहाँ जाते|

ये भी तो सज़ा है

ये भी तो सज़ा है कि गिरफ़्तार-ए-वफ़ा हूँ क्यूँ लोग मोहब्बत की सज़ा ढूँढ रहे हैं|

न पूछा कर

न पूछा कर औरो से हाल मेरा.. .ए बेवफा .., इतनी ही फ़िक्र होती तो ..तू साथ होती.. तेरी यादे नहीं…

डूबी हैं मेरी उँगलियाँ

डूबी हैं मेरी उँगलियाँ मेरे ही खून में.. ये कांच के टुकड़ों पे भरोसे की सजा है..

बड़ा मतलबी निकला

समंदर भी बड़ा मतलबी निकला,, जान लेकर लहरों से कहता है,, लाश को किनारे लगा दो।

जिसको भी देखा रोते हुए

जिसको भी देखा रोते हुए ही देखा… मुझे तो ये “मोहब्बत” साजिश लगती है रुमाल बनाने वालो की…

भाग्य रेखाओं में

भाग्य रेखाओं में तुम कहीं भी न थे प्राण के पार लेकिन तुम्हीं दीखते ! सांस के युद्ध में मन पराजित हुआ याद की अब कोई राजधानी नहीं प्रेम तो जन्म से ही प्रणयहीन है बात लेकिन कभी हमने मानी नहीं हर नये युग तुम्हारी प्रतीक्षा रही हर घड़ी हम समय से अधिक बीतते ।

इस नई उम्र में

इस नई उम्र में प्यार से हारकर ज़िन्दगी इक अजाना सा डर हो गई! एक व्यापार था इक लड़ाई सी थी प्यार में प्यार का एक पल भी न था प्रीत का जीतना एक कहानी ही है हारने के सिवा कोई हल भी न था जो बचा न सकी अपने किरदार भी वो कथा ही… Continue reading इस नई उम्र में

जागने वाले तुझे

जागने वाले तुझे ढूंढते ही रह जाएंगे… मैं तेरे सपने में आकर तुझे ले जाऊँगा

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