सख़्त हाथों से

सख़्त हाथों से भी…. छूट जाती हैं कभी उंगलियाँ…. रिश्ते ज़ोर से नहीं…. तमीज़ से थामे जाते हैं…

बेबस सी ऑंखें

बेबस सी ऑंखें ढूंढ रही है तुमको.. काश कि इस दुनिया में तुम ही तुम होते|

जिंदगी किस्मत से

जिंदगी किस्मत से चलती है दोस्तों, दिमाग से चलती तो अकबर की जगह बीरबल बादशाह होता !!

सोचा भी न था

सोचा भी न था ऐसे लम्हों का सामना होगा मंजिल तो सामने होगी पर रास्ता न होगा !!

जाओ तुम किसी और से

जाओ तुम किसी और से इश्क कर लो … मुझे तो अमीर होने में थोडा वक्त लग जायेगा..

लफ्ज़ बीमार से

लफ्ज़ बीमार से पड़ गये है आज कल….. एक खुराक तेरे दीदार की चाहिए|

गलती पर साथ छोड़ने वाले तो

गलती पर साथ छोड़ने वाले तो बहुत मिले, गलती पर समझा कर साथ निभाने वाले की ज़रूरत है |

तेरी आँखों में

तेरी आँखों में आँसू थे मेरे खातिर वो एक लम्हा मुझे जिंदगी से प्यारा लगा|

कभी उलझ पड़े

कभी उलझ पड़े मौला से कभी साकी से हंगामा, ना नमाज अदा हो सकी ना शराब पी सके|

हमारी वफ़ा पर

हमारी वफ़ा पर खाक डालो…… – तुम बताओ आजकल किसके हो ?

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