वो जब पास मेरे होगा

वो जब पास मेरे होगा तो शायद कयामत होगी…., अभी तो उसकी शायरी ने ही तवाही मचा रखी है.

बाँटने निकला है

बाँटने निकला है वो फूलों के तोहफ़े शहर में, इस ख़बर पर हम ने भी, गुल-दान ख़ाली कर दिया|

थे तो बहुत मेरे भी

थे तो बहुत मेरे भी इस दुनियां में कहने को अपने, पर जब से हुआ है इश्क हम लावारिस हो गए !!

नजाकत तो देखिये

नजाकत तो देखिये, की सूखे पत्ते ने डाली से कहा, चुपके से अलग करना वरना लोगो का रिश्तों से भरोसा उठ जायेगा !!

मुझे कुबूल नहीं

मुझे कुबूल नहीं खुद ही दूसरा चेहरा, ख़ुशी तो मुझ को भी अक्सर तलाश करती है…

कभी इश्क़ करो

कभी इश्क़ करो और फिर देखो इस आग में जलते रहने से.. कभी दिल पर आँच नहीं आती कभी रंग ख़राब नहीं होता..

कहाँ उलझा पड़ा है

कहाँ उलझा पड़ा है तू उन छोटी छोटी बातों में चल कोई बड़ी बात से हम अब ये रिश्ता ख़त्म करते हैं

एक चादर साँझ ने

एक चादर साँझ ने सारे नगर पर डाल दी, यह अँधेरे की सड़क उस भोर तक जाती तो है! निर्वसन मैदान में लेटी हुई है जो नदी, पत्थरों से ओट में जा-जा के बतियाती तो है!!!

उन्होंने ये सोचकर

उन्होंने ये सोचकर अलविदा कह दिया कि गरीब है, मोहब्बत के अलावा क्या देगा|

हुस्न वाले जब तोड़ते हैं

हुस्न वाले जब तोड़ते हैं दिल किसी का, बड़ी सादगी से कहते है मजबूर थे हम.

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