बदलना आता नहीं हमे मौसम की तरह, हर इक रुत में तेरा इंतज़ार करते हैं, ना तुम समझ सकोगे जिसे क़यामत तक, कसम तुम्हारी तुम्हे हम इतना प्यार करते हैं|
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तेरे हर ग़म को
तेरे हर ग़म को अपनी रूह में उतार लूँ; ज़िन्दगी अपनी तेरी चाहत में संवार लूँ; मुलाक़ात हो तुझसे कुछ इस तरह मेरी; सारी उम्र बस एक मुलाक़ात में गुज़ार लूँ।
अक्ल बारीक हुई
अक्ल बारीक हुई जाती है, रूह तारीक हुई जाती है।
हमारे बिन अधूरे तुम
हमारे बिन अधूरे तुम रहोगे, कभी चाहा था किसी ने,तुम ये खुद कहोगे..
तेरे हर ग़म को
तेरे हर ग़म को अपनी रूह में उतार लूँ; ज़िन्दगी अपनी तेरी चाहत में संवार लूँ; मुलाक़ात हो तुझसे कुछ इस तरह मेरी; सारी उम्र बस एक मुलाक़ात में गुज़ार लूँ।
जो कभी किया ना
जो कभी किया ना असर शराब ने, वो तेरी आँखों वे कर दिया, सजा़ देना तो मेरी मुठ्ठी मे थी, मुझे हि कैद तेरी सलाखों ने कर दिया ..
आ थक के कभी
आ थक के कभी और, पास मेरे बैठ तू हमदम . . . तू खुद को मुसाफ़िर, मुझे दीवार समझ ले ।
कीसीने युं ही
कीसीने युंही पुछ लिया की दर्दकी किमत क्या है? हमने हंसते हुए कहा, पता कुछ अपने मुफ्त में दे जाते है।
हमारे बिन अधूरे तुम
हमारे बिन अधूरे तुम रहोगे, कभी चाहा था किसी ने,तुम ये खुद कहोगे..
न रुकी वक्त की गर्दिश
न रुकी वक्त की गर्दिश और न जमाना बदला, पेड़ सुखा तो परिंदों ने ठिकाना बदला !!