बयाँ कैसे करूँ

बयाँ कैसे करूँ में अपने उजड़ने की दास्ताँ,आज भी फ़िक्र ने तेरी मुझे बेजुबां बना दिया|

वक़्त भी कितना अजीब होता है

वक़्त भी कितना अजीब होता है यारोँ, किसी का कटता नही और किसी के पास होता नही….

मकान बन जाते है

मकान बन जाते है कुछ हफ़्तों में, ये पैसा कुछ ऐसा है.. और घर टूट जाते है चंद पलों में, ये पैसा ही कुछ ऐसा है…!!

सुंदरता हो न हो

सुंदरता हो न हो सादगी होनी चाहिये. खुशबू हो न हो महक होनी चाहिये. रिश्ता हो न हो बंदगी होनी चाहिये. मुलाकात हो न हो बात होनी चाहिये. यु तो हर कोई उलझा है अपनी उलझनों मे सुलझन हो न हो सुलझाने कि कोशिश होनी चाहिये।

हर घड़ी ख़ुद से

हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समंदर मेरा एक से हो गए मौसमों के चेहरे सारे मेरी आँखों से कहीं खो गया मंज़र मेरा किससे पूछूँ कि कहाँ गुम हूँ बरसों से हर जगह ढूँढता फिरता है मुझे घर मेरा मुद्दतें बीत गईं इक ख़्वाब सुहाना… Continue reading हर घड़ी ख़ुद से

हमने तो बेवफा के भी

हमने तो बेवफा के भी दिल से वफ़ा किया इसी सादगी को देखकर सबने दगा किया मेरी टिशनगी तो पी गयी हर जख्म के आँसू गर्दिश मे आके हमने अपना घर बना लिया

उन परिंदो को

उन परिंदो को क़ैद करना मेरी फ़ितरत में नही… जो मेरे पिंजरे में रह कर दूसरो के साथ उधना पसंद करते है…!!!

क्या हसीन इत्तेफाक़ था

क्या हसीन इत्तेफाक़ था , तेरी गली में आने का. . किसी काम से आये थे , किसी काम के ना रहे .

आओ नफरत का किस्सा

आओ नफरत का किस्सा, दो लाइन में तमाम करें, दोस्त जहाँ भी मिले, उसे झुक के सलाम करें….

ना कहने से होती है

ना कहने से होती है , ना सुनाने से, ये जब शुरू होती है तो बस मुस्कुराने से….

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