कल के पन्ने

कल के पन्ने खाली रह गए, जो आज लिखा जा रहा है, पता नहीं! कोरा कागज न छूट जाए।

बन्द कर देता है

बन्द कर देता है “आँखे” अक्ल कि.. ” इश्क” जब वारदात करता है…!!

लुटा चुका हूँ

लुटा चुका हूँ बहुत कुछ, अपनी जिंदगी में यारो; मेरे वो ज़ज्बात तो ना लूटो, जो लिखकर बयाँ करता हूँ|

दुनिया में हूँ

दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ बाज़ार से गुज़रा हूँ ख़रीददार नहीं हूँ|

मिसाल-ए-आतिश

मिसाल-ए-आतिश है ये रोग-ए-मुहब्बत … रौशन तो खूब करता है … मगर “जला जला” कर … !!

काफी दिनों से

काफी दिनों से, कोई नया जख्म नहीं मिला; पता तो करो.. “अपने” हैं कहां ?

दुश्मनों के खेमें में

दुश्मनों के खेमें में चल रही थी मेरे क़त्ल की साज़िश मैं पहुंचा तो वो बोले यार तेरी उम्र बहुत लंबी हैं|

एक आँसू कोरे काग़ज़ पर

एक आँसू कोरे काग़ज़ पर गिरा और, अधूरा ख़त मुक्कमल हो गया !!!

अलविदा कहने में

अलविदा कहने में उसने जिंदगी का एक पल खोया…. हमने एक पल में पूरी जिंदगी खो दी|

न ख़ुशी अच्छी है

न ख़ुशी अच्छी है ऐ दिल, न मलाल अच्छा है, यार जिस हाल में रखे, वही हाल अच्छा है।

Exit mobile version