तुम्हारी खुशियों के

तुम्हारी खुशियों के ठिकाने बहुत होंगे, मगर हमारी बेचैनियों की वजह बस तुम हो

रफ्ता रफ्ता उन्हें

रफ्ता रफ्ता उन्हें भूले हैं मुद्दतों में हम.. किश्तों में खुदकुशी का मज़ा हमसे पूछिये..

जनाजा देखकर मेरा

जनाजा देखकर मेरा वो बेवफा बोल पड़ी, वही मरा है ना जो मुझ पर मरता था..

ग़लतफहमी की गुंजाइश

ग़लतफहमी की गुंजाइश नहीं सच्ची मुहब्बत में जहाँ किरदार हल्का हो कहानी डूब जाती है..

मौसम जो जरा सा

मौसम जो जरा सा सर्द हुआ, फिर वही पुराना दर्द हुआ…….!!

टूटे हुए ख्वाबों की

टूटे हुए ख्वाबों की चुभन कम नहीं होती, अब रो कर भी आँखों की जलन कम नहीं होती….!!

ऐ काश ज़िन्दगी भी

ऐ काश ज़िन्दगी भी किसी अदालत सी होती,,, सज़ा-ऐ-मौत तो देती पर आख़िरी ख्वाइश पूछकर…

बताओ तो कैसे

बताओ तो कैसे निकलता है जनाज़ा उनका,,, वो लोग जो अन्दर से मर जाते है…

मैं अगर नशे में

मैं अगर नशे में लिखने लगूं,,, खुदा कसम होश आ जाये तुम्हे…

एक नाराज़गी सी है

एक नाराज़गी सी है ज़ेहन में ज़रूर, पर मैं ख़फ़ा किसी से नहीं…

Exit mobile version