मुख्तसर सी जिंदगी मेरी तेरे बिन बहुत अधूरी है, इक बार फिर से सोच तो सही की क्या तेरा खफा रहना बहुत जरूरी है |
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एक शब्द है
एक शब्द है दुःख, कहो कई – कई तरह से फेर। दुःख ही दुःख है ज़िंदगी सुख की यहाँ नहीं ख़ैर।।
अनदेखे धागों में
अनदेखे धागों में, यूं बाँध गया कोई की वो साथ भी नहीं, और हम आज़ाद भी नहीं.
मंजिल पर पहुंचकर
मंजिल पर पहुंचकर लिखूंगा मैं इन रास्तों की मुश्किलों का जिक्र, अभी तो बस आगे बढ़ने से ही फुरसत नही..
बता किस कोने में
बता किस कोने में, सुखाऊँ तेरी यादें, बरसात बाहर भी है, और भीतर भी है..
मेरे महंगे महंगे ख्वाब..
तू आए और आकर लिपट जाए मुझसे, उफ्फ ये मेरे महंगे महंगे ख्वाब..
वो जो अँधेरो में
वो जो अँधेरो में भी नज़र आए ऐसा साया बनो किसी का तुम
इंतहा आज इश्क़ की
इंतहा आज इश्क़ की कर दी आपके नाम ज़िन्दगी कर दी था अँधेरा ग़रीब ख़ाने में आपने आ के रौशनी कर दी देने वाले ने उनको हुस्न दिया और अता मुझको आशिक़ी कर दी तुमने ज़ुल्फ़ों को रुख़ पे बिखरा कर शाम रंगीन और भी कर दी
मोहब्बत के रास्ते
मोहब्बत के रास्ते कितने भी मखमली क्युँ न हो… खत्म तन्हाई के खंडहरों में ही होते है…!!
हजारों महफिलें है
हजारों महफिलें है और लाखों मेले हैं, पर जहां तुम नहीं वहाँ हम अकेले हैं|