इश्क़ तो बेपनाह हुआ…

इश्क़ तो बेपनाह हुआ…कसम से………. गलती बस ये हुई कि……..हुआ तुमसे

किस्मत ऊपर वाला लिखता है . .

कहते है किस्मत ऊपर वाला लिखता है . . . ! फिर उसे क्यों लाता है ज़िन्दगी में जो किस्मत में नही होता|

बात बे बात पर

बात बे बात पर तेरी बात का होना, अब इसे ईश्क ना समझूं तो क्या समझूं?

हम ने तो वफ़ा के

हम ने तो वफ़ा के लफ़्ज़ को भी वजू के साथ छूआ जाते वक़्त उस ज़ालिम को इतना भी ख़याल न हुआ |

उनको मेरी आँखें पसंद है

उनको मेरी आँखें पसंद है, और मुझे खुद कि आँखों में वो|

लोग कहते हैं

लोग कहते हैं कि समझो तो खामोशियां भी बोलती हैं, मैं अरसे से खामोश हूं और वो बरसों से बेखबर….

खामोश रहने दो

खामोश रहने दो लफ़्ज़ों को, आँखों को बयाँ करने दो हकीकत, अश्क जब निकलेंगे झील के, मुक़द्दर से जल जायेंगे अफसाने..

आज़ाद कर दिया

आज़ाद कर दिया हमने भी उस पंछी को, जो हमारी दिल की कैद में रहने को तोहीन समजता था ..

परिन्दों की फिदरत से

परिन्दों की फिदरत से आये थे वो मेरे दिल में , जरा पंख निकल आये तो आशियाना छोड़ दिया ..

वो जब अपने हाथो की

वो जब अपने हाथो की लकीरों में मेरा नाम ढूंढ कर थक गये, सर झुकाकर बोले, लकीरें झूठ बोलती है तुम सिर्फ मेरे हो..

Exit mobile version