उङती हुयी धुल

उङती हुयी धुल सी तुम्हारी यादें ले आती है पानी आँखो में |

तेरी हसरतें भी ….

तेरी हसरतें भी ……. आ बसीं आखिर, मेरी ख्वाहिशों की ……. यतीम कहानी में

खुद ही पलट लेता हूँ …

खुद ही पलट लेता हूँ …….. किताबे जिंदगी के पन्ने, वो लोग अब कहाँ……. जो मुझमें, मुझे तलाशते थे|

पत्थर के सनम

शायरी भी एक

शायरी भी एक मीठा जुल्म है,,, करते रहो या फिर पढ़ते रहो…

क़दम उठे भी

क़दम उठे भी नहीं बज़्म-ए-नाज़ की जानिब,,,,, ख़याल अभी से परेशाँ है देखिए क्या हो…..!!

पत्थर न बना दे

पत्थर न बना दे मुझे मौसम की ये सख़्ती,,,, मर जाएँ मेंरे ख़्वाब न ताबीर के डर से….!!.

तन्हा उठा लूँ

तन्हा उठा लूँ मैं भी ज़रा लुत्फ़-ए-गुमरही,,,,, ऐ रहनुमा मुझे मेंरी क़िस्मत पे छोड़ दे….!!

सितमगर जब कोई

सितमगर जब कोई ताज़ा सितम ईजाद करते हैं, तो बहर-ए-इम्तिहाँ पहले हमीं को याद करते हैं….!!

तेरा यक़ीन हूँ

तेरा यक़ीन हूँ मैं कब से इस गुमान में था, मैं ज़िंदगी के बड़े सख़्त इम्तिहान में था…..!!

Exit mobile version