चल हो गया

चल हो गया फ़ैसला कुछ कहना ही नहीं, तू जी ले मेरे बग़ैर मुझे जीना ही नहीं।।

अज़ब माहौल है

अज़ब माहौल है मेरे ‘मुल्क’ का, मज़हब थोपा जाता है,’इश्क’ रोका जाता है।।

समझा दो अपनी यादों को

समझा दो अपनी यादों को तुम ज़रा… दिन-रात तंग करती हैं कर्ज़दार की तरह….

मैं अपने दिल को

मैं अपने दिल को ये बात कैसे समझाऊँ कि किसी को चाहने से कोई अपना नहीं होता..

मुफ्त में नहीं आता

मुफ्त में नहीं आता, यह शायरी का हुनर…. इसके बदले ज़िन्दगी हमसे, हमारी खुशियों का सौदा करती है…!!

ऐ ज़िंदगी अब तू ही

ऐ ज़िंदगी अब तू ही रुठ जा मुझसे, ये रुठे हुए लोग मुझसे मनाए नहीं जाते…|

मत सोना किसी के

मत सोना किसी के कंधे पे सर रख कर जब वो बिछड़ते है तो तकिये पे भी नींद नहीं आती.

जो मिलते हैं

जो मिलते हैं, वो बिछड़ते भी हैं, हम नादान थे…!! एक शाम की, मुलाकात को, जिंदगी समझ बैठे…!!

एक बात पूछें

एक बात पूछें तुमसे.. जरा दिल पर हाथ रखकर फरमायें.. जो इश्क़ हमसे शीखा था .. अब वो किससे करते हो |

सोचा याद न करके

सोचा याद न करके थोड़ा तड़पाऊं उनको! किसी और का नाम लेकर जलाऊं उनको! पर चोट लगेगी उनको तो दर्द मुझको ही होगा! अब ये बताओ किस तरह सताऊं उनको!

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