बहते पानी की तरह है फितरत- ए-इश्क, रुकता नहीं,थकता नहीं,थमता नहीं, मिलता नहीं…
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सिर्फ नाम लिख देने से
सिर्फ नाम लिख देने से शायरी अपनी नहीं हो जाती, दिल तुड़वाना पड़ता है कुछ दिल से लिखने के लिये !!
काश तुम कभी ज़ोर से
काश तुम कभी ज़ोर से गले लगाकर। कहो डरते क्यों हो पागल। मैं तुम्हारी तो हु।
मुझे मेरे अंदाज मे
मुझे मेरे अंदाज मे ही चाहत बयान करने दे…. बड़ी तकलीफ़ से गुजरोगे जब ….. तुझे तेरे अंदाज़ में चाहेंगे……
इस तरह तुमने
इस तरह तुमने मुझे छोड़ दिया जैसे रास्ता कोई गुनाह का हो..
सच तो है तेरा
सच तो है तेरा फितूर बदल गया है मुझसे मुहब्बत का दस्तूर बदल गया है|
प्यार की फितरत भी
प्यार की फितरत भी अजीब है यारों….. जो रुलाते हैं बस उन्हीं को गले लगाकर रोने का दिल करता है।।
ताकत ही नहीं
ताकत ही नहीं,दिल भी लगाइये ये दीवार बनी नहीं,पनपी है।
हर धड़कते पत्थर को
हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में…
प्यार की फितरत भी
प्यार की फितरत भी अजीब है यारों….. जो रुलाते हैं बस उन्हीं को गले लगाकर रोने का दिल करता है।।