वह समझते मेरी उल्फत, ये नसीब नहीं थे मेरे मेरी चाहतें तरसती रही, मेरे उजले नसीब को|
Tag: हिंदी शायरी
जिसको चाहा हमने
जिसको चाहा हमने वो माना ख़ास था हमने इबादत क्या करी वो तो खुदा बन बैठा|
घर न जाऊं किसी के
घर न जाऊं किसी के तो रूठ जातें हैं बड़े बुजुर्ग गावों में….. गांव की मिटटी में अब भी वो तहज़ीब बाकी है.
पता है जिसको
पता है जिसको मुस्तकबिल हमारा वो अपने आज से अनजान क्यूँ है|
डराकर दुनिया को
डराकर दुनिया को वो जीता है, जिसकी हड्डियों में पानी होता है !!
एक आईना और एक
एक आईना और एक मैं, इस दुनिया में तेरे दिवाने दो !!
धुप में रहने वाले
धुप में रहने वाले जल्दी निखर जाते है, छाया में रहने वाले जल्दी बिखर जाते है !!
पुराने लोग नया हौसला
पुराने लोग नया हौसला तो क्या देंगे मगर बुज़र्गों से मिलते रहो दुआ देंगे..
टूटे हुए घर
टूटे हुए घर भी ज़रा देख ले चल के… तन्हाई में नक़्शे न बना ताज महल के…
फ़साना ये मुहब्बत का
फ़साना ये मुहब्बत का है अहसासों पे लिख जाना…. छलकते जाम चाहत के मेरी प्यासों पे लिख जाना…