वो अल्फाज़ जिसे

जिंदगी की थकान में गुम हो गया, वो अल्फाज़ जिसे “सुकून” कहते है…

Inteha ye hai

Saas ko but, aur but ko devta karta hai ishk Inteha ye hai ke bande ko Khuda karta hai ishk

बस तुम याद

मंजर भी बेनूर थे और फिजायें भी बेरंग थी , बस तुम याद आए और मौसम सुहाना हो गया..

Ye Haqikat Hai

Tum na mano ye haqikat hai. Dosti insan ki zarurat hai. Kisi din aao hamari mehfil me, Jan jaoge zindagi kitni khubsurat hai…

मोहब्बत का शौक

मिलने लगे है रोज वो हमसे अजनबी बनकर .. लगता है फिर से मोहब्बत का शौक चढा है…!!.

बिगाड़ देती हैं 

नयी हवाओं की सोहबत बिगाड़ देती हैं कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती हैं जो जुर्म करते है इतने बुरे नहीं होते सज़ा न देके अदालत बिगाड़ देती हैं

सभाल लिया है

मन्जिले मुझे छोड़ गयी रास्तों ने सभाल लिया है..!! जा जिन्दगी तेरी जरूरत नहीं मुझे हादसों ने पाल लिया है.

कुछ तो जीते हैं

कुछ तो जीते हैं जन्नत की तमन्ना लेकर कुछ तमन्नायें जीना सिखा देती है हम किसके सहारे जीये ज़िन्दगी रोज एक तमन्ना बढा देती है।

लोग होठों पे

लोग होठों पे सजाये हुए फिरते हैं मुझे मेरी शोहरत किसी अखबार की मोहताज नहीं

खुदा की मोहब्बत

खुदा की मोहब्बत को फना कौन करेगा? सभी बन्दे नेक हो तो गुनाह कौन करेगा?

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