कभी पिघलेंगे पत्थर भी

कभी पिघलेंगे पत्थर भी मोहब्बत की तपिश पाकर, . . बस यही सोच कर हम पत्थर से दिल लगा बैठे….!!

जो जहर हलाहल है

जो जहर हलाहल है वो ही अमृत है नादान, मालूम नही तुझको अंदाज है पीने के ।।

तेरा प्यार मुझको

तेरा प्यार मुझको तड़पाता ही रहता है! तेरा ख्वाब मुझको तरसाता ही रहता है! बन चुकी है जिन्द़गी जुल्मों-सितम की यादें, मेरा नसीब मुझको तो रुलाता ही रहता है!

अमल से ज़िंदगी

अमल से ज़िंदगी बनती है जन्नत भी जहन्नम भी ये ख़ाकी अपनी फ़ितरत में न नूरी है न नारी है|

थी विरह की रात

थी विरह की रात वो और दर्द बेशुमार था…!!! . . रोते रोते हँस दिया न जाने कैसा प्यार था…!!!

ज़िन्दगी जब चुप सी रहती है

ज़िन्दगी जब चुप सी रहती है मेरे खामोश सवालो पर तब दिल की जुबाँ स्याही से पन्नें सजाती है|

हर बात मानी है

हर बात मानी है सर झुकाकर तेरी ए ज़िन्दगी …. हिसाब बराबर कर तू भी तो कुछ शर्ते मान मेरी……

ऐ जिन्दगी तेरे जज्बे को

ऐ जिन्दगी तेरे जज्बे को सलाम… मंजिल पता है के मौत है फिर भी दौड रही है….।।

सिर्फ एक रूह बची है

सिर्फ एक रूह बची है,ले जा सकते हो तो ले जाओ..! बाकी सब कुछ तेरे इश्क़ में हम हार बैठे है|

माना उन तक

माना उन तक पहुंचती नहीं तपिश हमारी, मतलब ये तो नहीं कि, सुलगते नहीं हैं हम…

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