एक चादर साँझ ने सारे नगर पर डाल दी, यह अँधेरे की सड़क उस भोर तक जाती तो है! निर्वसन मैदान में लेटी हुई है जो नदी, पत्थरों से ओट में जा-जा के बतियाती तो है!!!
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उन्होंने ये सोचकर
उन्होंने ये सोचकर अलविदा कह दिया कि गरीब है, मोहब्बत के अलावा क्या देगा|
हुस्न वाले जब तोड़ते हैं
हुस्न वाले जब तोड़ते हैं दिल किसी का, बड़ी सादगी से कहते है मजबूर थे हम.
प्यार से तो ज़िन्दगी
प्यार से तो ज़िन्दगी बरबाद होती होगी….. मगर उसके दर्द से दील आबाद रहता है …..
वो एक ही चेहरा
वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ में, जो दूर है वो दिल से उतर क्यों नहीं जाता। मैं अपनी ही उलझी हुई राहों का तमाशा, जाते हैं जिधर सब, मैं उधर क्यों नहीं जाता।
सुना है इश्क की
सुना है इश्क की सजा मौत होती है… तो लो मार दो हमे क्यूंकि प्यार करते है हम आपसे|
तुझसे नाराज़ होकर
तुझसे नाराज़ होकर कहाँ जाएँगे… रोएँगे तड़पेंगे फिर लौट आएँगे|
करम इतना सा
करम इतना सा करना मुझपे ए मालिक… ज़िक्र जब फ़िक्र का हो तो मुझे ही आगे करना… आग का दरिया हो या समंदर की गहराई…. मैं ही पार करुँगा पहले नहीं पड़ने दूंगा उसपे गम की कोई परछाई…
ये जो तेरा होकर भी
ये जो तेरा होकर भी ना होने का अहसास है… बस ये अधूरापन ही मुझे जीने नहीं देता|
सफ़र में धूप तो होगी
सफ़र में धूप तो होगी, जो चल सको तो चलो.. सभी है भीड़ में, तुम भी निकल सको तो चलो.!