हमने काँटों को भी नरमी से छुआ है.. लोग बेदर्द हैं जो फूलो को भी मसल देते हैं..
Tag: शर्म शायरी
इतनी बिखर जाती है
इतनी बिखर जाती है तुम्हारे नाम की खुशबु मेरे लफ़्जों मे..! की लोग पुछने लगते है “इतनी महकती क्युँ है शायरी तुम्हारी..??
तुम नहीं हो तो
तुम नहीं हो तो , कोई आरजू नहीं; बातें नही; नींद नहीं… जागे हुए है, ख्वाब सारे; सिमटती हुई रात के साथ…
देखे हैं बहुत हम ने
देखे हैं बहुत हम ने हंगामे मोहब्बत के आग़ाज़ भी रुस्वाई …..अंजाम भी रुस्वाई….
ख़ुश हो ऐ दिल
ख़ुश हो ऐ दिल कि मोहब्बत तो निभा दी तू ने लोग उजड़ जाते हैं अंजाम से पहले पहले
आशिकी से मिलेगा
आशिकी से मिलेगा ऐ जाहिद, बंदगी से खुदा नहीं मिलता।
हमारे बाद अंधेरा
हमारे बाद अंधेरा रहेगा महफ़िल में बहुत चराग़ जलाओगे रौशनी के लिए
काश कोई अपना हो
काश कोई अपना हो , आईने जैसा ! जो हसे भी साथ और रोए भी साथ…
आज वो मशहूर हुए
आज वो मशहूर हुए, जो कभी काबिल ना थे.. मंज़िलें उनको मिली, जो दौड़ में शामिल ना थे.!!
अब ना करूँगा
अब ना करूँगा अपने दर्द को बयाँ किसीके सामने, दर्द जब मुझको ही सहना है तो तमाशा क्यूँ करना !!