दीदार के काबिल

दीदार के काबिल कहाँ मेरी सूरत है, ये उनकी इनायत है की उनका रुख इधर है|

मेरे दिल में

मेरे दिल में अपनी मौजूदगी का एहसास तो करके देखो तुम्हें मुझमें सिर्फ तुम ही तुम मिलोगे ।

रिश्तो की जमावट

रिश्तो की जमावट आज कुछ इस तरह हो रही है, बहार से अच्छी सजावट और अन्दर से स्वार्थ की मिलावट हो रही है..

कोई मरता रहा

कोई मरता रहा बात करने को.. किसी को परवाह तक नहीं|

तरीके तो बहुत थे

तरीके तो बहुत थे खुदखुशी के… ना जाने हम सबने मोहब्बत ही क्यों चुनी…

कुछ लौग ये सोचकर

कुछ लौग ये सोचकर भी मेरा हाल नहीं पुँछते.. कि यै पागल दिवाना फिर कोई शैर न सुना देँ..

वो वक्त गुजर गया

वो वक्त गुजर गया जब मुझे तेरी मोहब्बत की आरझू थी, अब तू खुदा भी बन जाये तो में तेरा सजदा ना करू..

कुछ दिन से

कुछ दिन से ज़िंदगी मुझे पहचानती नहीं… यूँ देखती है जैसे मुझे जानती नहीं..

न जाने कहाँ गुज़रता है

न जाने कहाँ गुज़रता है अब वक़्त उनका. जिनके लिए कभी हम वक़्त से भी ज्यादा कीमती थे…..

कुछ नाकामयाब रिश्तों में

कुछ नाकामयाब रिश्तों में पैसे नहीं.. बहुत सारी उम्मीदें और वक्त खर्च हो जाते हैं|

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