हम रोऐ भी …..तो वो जान ना सके…. और वो ….उदास भी हुऐ …..तो हमें खबर हो गई|
Tag: व्यंग्य
एक मुनासिब सा
एक मुनासिब सा नाम रख दो तुम मेरा.., रोज़ ज़िन्दगी पूछती है रिश्ता तेरा मेरा|
जाने क्या टूटा है
जाने क्या टूटा है पैमाना कि दिल है मेरा बिखरे-बिखरे हैं खयालात मुझे होश नहीं|
सितारे भी जाग रहे हो
सितारे भी जाग रहे हो रात भी सोई ना हो… ऐ चाँद मुझे वहाँ ले चल जहाँ उसके सिवा कोई ना हो |
कमाल की तक़दीर
कमाल की तक़दीर पायी होगी उस शख्स ने, जिसने तुझसे मोहब्बत भी ना की हो और तुझे पा लेगा।।
खुद ही पलट लेता हूँ …
खुद ही पलट लेता हूँ …….. किताबे जिंदगी के पन्ने, वो लोग अब कहाँ……. जो मुझमें, मुझे तलाशते थे|
क़दम उठे भी
क़दम उठे भी नहीं बज़्म-ए-नाज़ की जानिब,,,,, ख़याल अभी से परेशाँ है देखिए क्या हो…..!!
तेरा यक़ीन हूँ
तेरा यक़ीन हूँ मैं कब से इस गुमान में था, मैं ज़िंदगी के बड़े सख़्त इम्तिहान में था…..!!
क़िस्सा बन सकते थे
ख़्वाब जज़ीरा बन सकते थे, नहीं बने, हम भी क़िस्सा बन सकते थे, नहीं बने….!!
यादों का हिसाब
यादों का हिसाब रख रहा हूँ, सीने में अज़ाब रख रहा हूँ……!!