आज दिल की xerox निकलवाई….. सिर्फ बचपन वाली तस्वीरें ही रंगीन नज़र आई ……
Tag: व्यंग्य
हालांकि मेरी माँ
हालांकि मेरी माँ ने कभी तंत्र विद्या नहीं सीखी है पर जिस लड़की पर मै फ़िदा होता हूँ मेरी माँ एक नजर में बता देती है कि ये चुड़ैल है..
कारवां-ए-ज़िन्दगी
कारवां-ए-ज़िन्दगी हसरतों के सिवा कुछ भी नहीं.. ये किया नहीं, वो हुआ नहीं, ये मिला नहीं, वो रहा नहीं !!
सूरत सांवली हो
सूरत सांवली हो….. या चाँद सी..! बेटियाँ मां बाप के लिए ‘परी’ ही होती है..!
मुहब्बत ख़ूबसूरत होगी
मुहब्बत ख़ूबसूरत होगी किसी और दुनियाँ में । इधर तो हम पर जो गुज़री है हम ही जानते हैं ।।
रो रहे थे
रो रहे थे सब तो मैं भी फूट कर रोने लगा वरना मुझको बेटियों की रुख़सती अच्छी लगी
देखकर सोचा तो
देखकर सोचा तो पाया फासला ही फासला और सोचकर देखा तुम मेरे बहुत करीब थे
अंदाज़ ऐ जुदा
वो जब भी मिलता है अंदाज़ ऐ जुदा होता है चाँद सौ बार भी निकले तो नया होता है
उतरते हो क़लम से
लिखता हूँ तो तुम ही उतरते हो क़लम से.. पढ़ता हूँ तो लहजा भी तुम आवाज़ भी तुम..
हर बार तोडा दिल
हर बार तोडा दिल तूने इस क़दर संग-दिल गर जोड़ता टुकड़े तो ताजमहल बनता