मौत से क्या डर मिनटों का खेल है आफत तो ज़िन्दगी है बरसों चला करती है.
Tag: व्यंग्य शायरी
लोग होठों पे
लोग होठों पे सजाये हुए फिरते हैं मुझे मेरी शोहरत किसी अखबार की मोहताज नहीं
खुदा की मोहब्बत
खुदा की मोहब्बत को फना कौन करेगा? सभी बन्दे नेक हो तो गुनाह कौन करेगा?
ये सरहदे कब हटेगी
ये रिवाजी पाबंदिया… ये सरहदे कब हटेगी… इंतज़ार है मुझे एक नई खुशनुमा सुबह का…
भरोसा करते है
हम जिन पर आँखे बन्द करके भरोसा करते है, अक्सर वही लोग हमारी आँखे खोल जाते है
अब कैसे हिसाब हो
उसकी मौहब्बत के कर्ज का, अब कैसे हिसाब हो…. वो गले लगाकर कहती है, आप बड़े खराब हो….
जौर तो ऐ
जौर तो ऐ ‘जोश’ आखिर जौर था, लुत्फ भी उनका सितम ढाता रहा।
अदा-ए-हुस्न
अदा-ए-हुस्न की मासूमियत को कम कर दे.. गुनहगार नज़र को हिजाब आता हे..!
भारत
तूने कहा,सुना हमने अब मन टटोलकर सुन ले तू, सुन ओ आमीर खान,अब कान खोलकर सुन ले तू,” तुमको शायद इस हरकत पे शरम नहीं आने की, तुमने हिम्मत कैसे की जोखिम में हमें बताने की शस्य श्यामला इस धरती के जैसा जग में और नहीं भारत माता की गोदी से प्यारा कोई ठौर नहीं… Continue reading भारत
एक उसूल पर
एक उसूल पर गुजारी है जिंदगी मैंनें, जिसको अपना माना उसे कभी परखा नही..