दिन काटना है

किसी के पास कुल्हाड़ी है क्या ? दिन काटना है ….

चढ़ती रहें चादरें

इस बार की सर्दियों में ऐसा न होने पाए … चढ़ती रहें चादरें मज़ार पर और बाहर बैठा फ़क़ीर ठंड से मर जाए …!!

मुझे

मुझे कहना है अभी वह शब्द जिसे कहकर निःशब्द को जाऊँ मुझे देना है अभी वह सब जिसे देकर निःशेष हो जाऊँ मुझे रहना है अभी इस तरह कि मैं रहूँ लेकिन ‘मैं’ रह न जाऊँ I

यूँ तो शिकायतें

यूँ तो शिकायतें तुझसे सैंकड़ों हैं मगर, तेरी एक मुस्कान ही काफी है सुलह के लिये…

बहोत कुछ छूट

बहोत कुछ छूट जाता है… “कुछ” पूरा करने में…

झूठ, लालच और फरेब

झूठ, लालच और फरेब से परे है, खुदा का शुक्र है आयने आज भी खरे है.”

जब वक़्त करवट लेता हैं

जब वक़्त करवट लेता हैं ना, दोस्तों…!! …तो बाजियाँ नहीं, जिंदगियाँ पलट जाती है..!

ऑनलाइन खरीदी रोके

ऑनलाइन खरीदी रोके परिवार के साथ बहार निकले बाजार में रौनक होगी। और पैसा बाहर नहीं जायेगा भारत में रहेगा मरते बाजार को जीवन दान दे।

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