छोड़ दो किसी से वफा की आस….. ऐ दोस्त जो रूला सकता हैं_, वो भुला भी सकता हैं_!!
Tag: व्यंग्य शायरी
गले मिल कर ये देखें
आओ गले मिल कर ये देखें अब हम में कितनी दूरी है
अश्क तुम्हारी आंखों का
मै हूं अश्क तुम्हारी आंखों का , जब जी चाहे बहा देना इक लफ्ज हूं तुम्हारी कहानी का , ना याद रख सको तो भुला देना..!!
दिल पे लगती है
जिनके दिल पे लगती है चोट वो आँखों से नही रोते. जो अपनो के ना हुए, किसी के नही होते, मेरे हालातों ने मुझे ये सिखाया है, की सपने टूट जाते हैं पर पूरे नही होते.
क्या किस्मत पाई है
क्या किस्मत पाई है रोटीयो ने भी निवाला बनकर, रहिसो ने आधी फेंक दी, गरीब ने आधी में जिंदगी गुज़ार दी!!
काश ये दिल
काश ये दिल शीशे का होता.. कम से कम तोड़ने वाले के हाथ मे ज़ख़्म तो होता |
मेरे बाद किसी को
मेरे बाद किसी को अपना बना के देखना तेरी ही धड़कन कहेगी उसकी वफा मॆ कूछ और बात थी…
मरने का मज़ा तो
मरने का मज़ा तो तब है, जब कातिल भी जनाजे पे आकर रोये |
दिल से ज़्यादा
दिल से ज़्यादा महफूज़ जगह नहीं दुनिया में पर सबसे ज़्यादा लापता लोग यहीं से होते है|
मेरी शायरियोँ से
मेरी शायरियोँ से तंग आ जाओ, तो बता देना मुझे, वैसे भी मुझे नफरत पसन्द है, मगर दिखावे का प्यार नही..!!