चैन से रहने का हमको मशवरा मत दीजिये.. मुश्किलें जिन्दगी की अब मजा देने लगी हैं!!!
Tag: व्यंग्य शायरी
ये सोच कर
ये सोच कर की शायद वो खिड़की से झाँक ले . उसकी गली के बच्चे आपस में लड़ा दिए मैंने !!
वो बुलंदियाँ भी
वो बुलंदियाँ भी किस काम की जनाब,, कि इंसान चढ़े और इंसानियत उतर जायें…??
आज एक दुश्मन ने
आज एक दुश्मन ने धीरे से कान में कहा, यार इतना मत मुस्कुराया कर बहोत जलन होती है !!
रोज़ आ जाते हो
रोज़ आ जाते हो बिना इत्तेला दिए ख्वाबों में…. कोई देख लेगा तो हम क्या जवाब देंगे……
ख्वाब बोये थे
ख्वाब बोये थे, और अकेलापन काटा है, इस मोहब्बत में , “यारों” बहुत घाटा है..
कुछ तो बेवफाई हैं
कुछ तो बेवफाई हैं मुझमें भी,, जो अब तक जिंदा हुं तेरे बगैर !
ज़िन्दगी देने वाले
ज़िन्दगी देने वाले यूँ मरता छोड़ गए, अपनापन जताने वाले यूँ तनहा छोड़ गए, जब पड़ी जरुरत हमें अपने हमसफ़र की, तो साथ चलने वाले अपना रास्ता मोड़ गए।
रुकता नही तमाशा
रुकता नही तमाशा रहता है खेल जारी उस पर कमाल देखिए दिखता नही मदारी|
मीठी यादों की
मीठी यादों की चासनीं में भिगोकर हमने। तेरे इश़्क को, मुरब्बे सा संभाल रक्खा है।