क्या लूटेगा जमाना

क्या लूटेगा जमाना खुशियों को मेरी.. मैं तो खुद अपनी खुशियाँ दूसरों पर लुटा कर जीता हूँ….

बात मोहब्बत की थी

बात मोहब्बत की थी, तभी तो लूटा दी जिंदगी तुझ पे……!जिस्म से प्यार होता तो….तुझ से भी हसीन चेहरे बिकते है,बाजार में….!!

हो सके तो

हो सके तो, अब के कोई सौदा न करना मैं पिछली मोहब्बत में, सब हार आया हूँ…………

शिकवा तो बहुत है

शिकवा तो बहुत है मगर शिकायत नहीं कर सकते मेरे होठों को इज़ाज़त नहीं तेरे खिलाफ बोलने की

जब भी देखता हूँ

जब भी देखता हूँ तेरी मोहब्बत की पाकीज़गी दिल करता है तेरी रूह को काला टीका लगा दूँ…

दिल की बातें

दिल की बातें दूसरों से मत कहो लुट जाओगे आज कल इज़हार के धंधे में है घाटा बहुत

मत दो मुझे खैरात

मत दो मुझे खैरात उजालों की…… अब खुद को सूरज बना चुका हूं मैं..

तू मोहब्बत से

तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल……हार जाने का हौसला है मुझे !

तेरी मोहब्बत तो

तेरी मोहब्बत तो जैसे सरकारी नौकरी हो, नौकरी तो खत्म हुयी अब दर्द मिल रहा है पेंशन की तरह!

भूलना भुलाना दिमाग़ का

भूलना भुलाना दिमाग़ का काम है साहिब…. आप दिल में रहते हो….बेफिक्र हो जाओ….!!

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