दिल किसी से तब ही लगाना जब दिलों को पढ़ना सीख लो, हर एक चेहरे की फितरत मैं वफादारी नहीं होती.
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कैसा है ये इश्क
कैसा है ये इश्क और कैसा हैं ये प्यार ,जीते-जी जो मुझ से , तुम दूर जा रहे हो..
जिसे मौका नही मिला
कौन है इस जहान मे जिसे धोखा नही मिला, शायद वही है ईमानदार जिसे मौका नही मिला…
तुम से बेहतर
तुम से बेहतर तो तुम्हारी निगाहें थीं, कम से कम बातें तो किया करतीं थीं…
कहाँ खर्च करूँ
कहाँ खर्च करूँ , अपने दिल की दौलत… सब यहाँ भरी जेबों को सलाम करते हैं…
जो दुआ न करे
वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे.. मैं तुझको भूल के ज़िंदा रहूँ ख़ुदा न करे।। रहेगा साथ तेरा प्यार ज़िन्दगी बनकर.. ये और बात मेरी ज़िन्दगी वफ़ा न करे।।
शायरी का हुनर
यूँ ही नही आता ये शेर-ओ-शायरी का हुनर, कुछ खुशियाँ गिरवी रखकर जिंदगी से दर्द खरीदा है।
दर्द ऐ दिल
बस एक बार इस दर्द ऐ दिल को खत्म कर दो… . . “मैं वादा करता हूँ फिर कभी मोहब्बत नहीं करूंगा…
वाह रे इश्क़
वाह रे इश्क़ तेरी मासूमियत का जवाव नहीं हँसा हँसा कर करता है बर्बाद तू मासूम लोगो को
नफ़रत फैलाने वाला
ना हिंदू बुरा है, ना मुसलमान बुरा है, ना गीता बुरी है, ना कुरान बुरा है, ना खुदा बुरा है, ना भगवान बुरा है, नफ़रत फैलाने वाला, हर शैतान बुरा है..!!