अरमानों को जगाकर

अरमानों को जगाकर,आज भी बेठा हूँ उसी जगह पर, जहाँ एक झलक देखने को मिलती थी, मेरी मुहब्बत मुझे……।

हम तो नादाँ है

हम तो नादाँ है, क्या समझेगें उसूल – ए – मोहब्बत, बस उसे चाहना था उसे चाहते हैं और उसे ही चाहेंगे !

हीरा बना दे।

शायद कोई तराश कर,हीरा बना दे। यही सोच कर मैं,उम्र भर पत्थर बना रहा!

कोई समझने वाला

कहाँ मिलता है कभी कोई समझने वाला, जो भी मिलता है समझा के चला जाता है

रंगो से डर

रंगो से डर नहीं लगता यारो , रंग बदलने वाले लोगो से लगता है…!

मेरे पास सब कुछ

मुझे कुछ अफ़सोस नहीं कि मेरे पास सब कुछ होना चाहिए था ।मै तो उस वक़्त भी मुस्कुराता था जब मुझे रोना चाहिए था ।।

बर्बाद कर देगी मुझे

जब मैंने कहा तुम्हारी जुदाई, बर्बाद कर देगी मुझे . तो उसने बड़े तल्ख़ लहज़े में कहा, बर्बाद हज़ारो है एक तुम भी सही

अगर जिन्दगी में

जिन्दगी की सच्चाई अगर जिन्दगी में सुखी होना है तो, अपने आप को किसी न किसी कार्य में व्यस्त रखिये, क्योंकि व्यस्त व्यक्ति के पास दुखी होने का समय नहीं होता..

अपनी कश्ती पर

कभी डूबे हुओं को हमने बिठाया था अपनी कश्ती पर आज फिर हम को ही बोझ कहकर कश्ती से उतारा गया.!!

यहाँ जो गुनहगार नही

किसके लिए जन्नत बनाई तूने, ऐ खुदा कौन है यहाँ जो गुनहगार नही..!!

Exit mobile version