कभी डूबे हुओं को हमने
बिठाया था अपनी कश्ती पर
आज फिर हम को ही बोझ कहकर कश्ती से
उतारा गया.!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कभी डूबे हुओं को हमने
बिठाया था अपनी कश्ती पर
आज फिर हम को ही बोझ कहकर कश्ती से
उतारा गया.!!