उसे छुना जुर्म है, तो मेरी फाँसी का इन्तेजाम करो.. मै आ रहा हु उसे सीने से लगा कर…
Tag: मौसम शायरी
अधूरे ही रह जाते है
अल्फाज़ अक्सर अधूरे ही रह जाते है मोहब्बत में , हर सख्स किसी न किसी की चाहत दिल में दबाये रखता है|
अगर लोग यूँ ही
अगर लोग यूँ ही कमिया निकालते रहे तो,… एक दिन सिर्फ खुबिया ही रह जायेगी मुझमे …
केवल दस्ताने निकले..
जिनको थामा हाथ समझ कर, वो केवल दस्ताने निकले..!
हंसी हंसी में
तुम मुझे हंसी हंसी में खो तो दोगे, पर याद रखना… आंसुओं में ढ़ूंढ़ोगे…
परिंदे सोचते हैं
इन्सान की चाहत है कि उड़ने को पर मिले, और परिंदे सोचते हैं कि रहने को घर मिले
एक नया ही रंग
जब जब सच बोलके देखा मुह पे इंसान के, हर वक़्त एक नया ही रंग सामने आया ।
कोई कम्बखत उछाल न दे
कोई कम्बखत उछाल न दे हवा में…. अपने गालों से लग जाने दे, एक मुठ्ठी गुलाल ही तो हूँ
जरा मुस्कुरा के देखो
जरा मुस्कुरा के देखो, दुनिया हँसती नजर आएगी!
सज़दे कीजिये या माँगिये
सज़दे कीजिये या माँगिये दुआयें, जो आपका है ही नही वो आपका होगा भी नही…!!