कोई कम्बखत उछाल न दे

कोई कम्बखत उछाल न दे हवा में….

अपने गालों से लग जाने दे,
एक मुठ्ठी गुलाल ही तो हूँ

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version