पलकें भी चमक जाती हैं सोते में हमारी, आंखों को अभी ख्वाब छुपाने नहीं आते।
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मैं अपनी धुन में
मैं अपनी धुन में आग लगाता चला गया सोचा न था कि ज़द में मेरा घर भी आएगा
मृत्यु के बाद
मृत्यु के बाद यही है जीवन का कड़वा सच:- 1:-“पत्नी ” मकान तक ? 2:-“समाज”शमशान तक 3:-“पुत्र”अग्निदान तक ♨ सिर्फ आप के “कर्म” भगवान तक
सियासत मुल्क में
सियासत मुल्क में शायद है इक कंगाल की बेटी हर इक बूढा उसे पाने को कैसे छटपटाता है
मैं उसकी गोंद में
मैं उसकी गोंद में खीला बचै की तरह मुजे फ़िरीगियो बोली सीखा पर उर्दू ऐ कलाम ना सीखा
दिल की xerox
आज दिल की xerox निकलवाई….. सिर्फ बचपन वाली तस्वीरें ही रंगीन नज़र आई ……
हालांकि मेरी माँ
हालांकि मेरी माँ ने कभी तंत्र विद्या नहीं सीखी है पर जिस लड़की पर मै फ़िदा होता हूँ मेरी माँ एक नजर में बता देती है कि ये चुड़ैल है..
एक नफरत ही हैं
एक नफरत ही हैं जिसे दुनिया चंद लम्हों में जान लेती हैं.. वरना चाहत का यकीन दिलाने में तो जिन्दगी बीत जाती हैं.
प्रेम से देती है
प्रेम से देती है, वह है “बहन” झगङकर देता है, वह है “भाई” पुछकर देता है, वह है “पिताजी” और बिना माँगे सबकुछ दे देती है वह है…”माँ’”
खुद मुझे लिखा है
“माँ ” के लिए क्या लिखू ? “माँ ” ने खुद मुझे लिखा है ..