जिस के होने से

जिस के होने से मैं खुद को मुक्कमल मानता हूँ मेरे रब के बाद मैं बस मेरी माँ को जानता हूँ !!!

माँ के पैरों मे

रात भर जन्नत की सैर करते रहे हम, सुबह उठे तो देखा हमारा सर माँ के पैरों मे था…

चंद सिक्को की मजबूरी

चंद सिक्को की मजबूरी ही है जो खुद के बच्चो को भूखा छोड़ के एक माँ…. अपनी मालकिन के बच्चों को रोज खिलाने जाती है|

जब आंख खुली तो

जब आंख खुली तो अम्‍मा की गोदी का एक सहारा था उसका नन्‍हा सा आंचल मुझको भूमण्‍डल से प्‍यारा था उसके चेहरे की झलक देख चेहरा फूलों सा खिलता था उसके स्‍तन की एक बूंद से मुझको जीवन मिलता था हाथों से बालों को नोंचा पैरों से खूब प्रहार किया फिर भी उस मां ने… Continue reading जब आंख खुली तो

रोज के मिलने में

हर रोज के मिलने में तकल्लुफ़ कैसा, चाँद सौ बार भी निकले तो नया लगता है….!!!

बर्फ से पुछा

कीसी ने बर्फ से पुछा की, आप इतने ठंडे क्युं हो ? बर्फ ने बडा अच्छा जवाब दिया :- ” मेरा अतीत भी पानी; मेरा भविष्य भी पानी…” फिर गरमी किस बात पे रखु ??

काश कही से

काश कही से मिल जाते वो अलफ़ाज़ हमे भी, जो तुझे बता सकते कि हम शायर कम, तेरे आशिक ज्यादा हैं…..!!

किसी को राह

किसी को राह दिखलाई किसी का ज़ख्म सहलाया किसी के अश्क जब पोंछे तब इबादत का मज़ा आया|

घड़ी की फितरत

घड़ी की फितरत भी अजीब है, हमेशा टिक-टिक कहती है, मगर,…. ना खुद टिकती है और ना दूसरों को टिकने देती है !

दिल ज़िद्दी सा

ख्वाहिश भले छोटी सी हो… लेकिन.! उसे पूरा करने के लिए दिल ज़िद्दी सा होना चाहिए..!!

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