ज़िन्दगी यूँ ही बहुत कम है मुहब्बत के लिए , फिर रूठकर वक़्त गवाँने की जरूरत क्या है|
Tag: प्यारी शायरी
रोते-रोते थक कर
रोते-रोते थक कर जैसे कोई बच्चा सो जाता है…. सुनो, हाल हमारे दिल का अक्सर कुछ ऐसा ही हो जाता है|
अपने ही साए में
अपने ही साए में था, मैं शायद छुपा हुआ, जब खुद ही हट गया, तो कही रास्ता मिला…..
दुश्मनों के साथ
दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद है, देखना है , फेंकता है मुझ पर पहला तीर कौन……
मंज़ूर नहीं किसी को
मंज़ूर नहीं किसी को ख़ाक में मिलना, आंसू भी लरज़ता हुआ आँख से गिरता है…..
ज़िन्दगी के मायने तो
ज़िन्दगी के मायने तो याद तुमको रह जायेंगे , अपनी कामयाबी में कुछ कमी भी रहने दो…
दर्द लिखते रहे….
दर्द लिखते रहे….आह भरते रहे लोग पढ़ते रहे….वाह करते रहे।
ये चांद की आवारगी
ये चांद की आवारगी भी यूंही नहीं है, कोई है जो इसे दिनभर जला कर गया है..
बड़ी अजीब सी है
बड़ी अजीब सी है शहरों की रौशनी, उजालों के बावजूद चेहरे पहचानना मुश्किल है।
रिश्ते बनावट के पसंद
रिश्ते बनावट के पसंद नहीं मुझे.. दोस्त हों या दुश्मन सब…. असली हैं मेरे..