अब में क्यों तुझे

अब में क्यों तुझे प्यार करता हूँ… जब तेरे शहर से गुज़रता हूँ…

तू मुझे छोड़ के

तू मुझे छोड़ के चली भी गयी…खैर किस्मत मेरी नसीब मेरे…

वो घडी आई…

आखिर कार वो घडी आई… बार-ऐ-बार हो गए रक़ीब मेरे…

हाल ऐ दिल भी

हाल ऐ दिल भी न कह सके तुझसे…तू रही मुद्दतो करीब मेरे…

जरूरी नहीं की

जरूरी नहीं की हर बात पर तुम मेरा कहा मानों, दहलीज पर रख दी है चाहत, आगे तुम जानो….

किस से पूछूँगा

किस से पूछूँगा खबर तेरी… कौन बतलायेगा निशान तेरा…

ये भी मुझे

ये भी मुझे नही मालूम… किस मोहल्ले में है मकान तेरा..

रहे दो दो फ़रिश्ते

रहे दो दो फ़रिश्ते साथ अब इंसाफ़ क्या होगा किसी ने कुछ लिखा होगा किसी ने कुछ लिखा होगा

कभी किसी से

कभी किसी से प्यार मत करना! हो जाये तो इंकार मत करना! चल सको तो चलना उस राह पर! वरना किसी की ज़िन्दगी ख़राब मत करना!

शिकायतो की पाई पाई

शिकायतो की पाई पाई जोड़ कर रखी थी मैंने !उसने गले लगा कर.. सारा हिसाब बिगाड़ दिया ||

Exit mobile version