स्कूल खत्म हुए तो

स्कूल खत्म हुए तो रस्ते अलग हुए फिर उसके बाद कभी हम मिले नहीं..!

जिस जिस ने मुहब्बत में

जिस जिस ने मुहब्बत में अपने महबूब को खुदा कर दिया..! . खुदा ने अपने वजूद को बचाने के लिए उनको जुदा कर दिया..!!

एक एक कतरे से

एक एक कतरे से आग सी निकलती है हुस्न जब नहाता है भीगते महीनों में !! . नर्म नर्म कलियों का रस निचोड़ लेती हैं पत्थरों के दिल होंगे इन तितलियों के सीनों में।

थोड़ा बचा हूँ

थोड़ा बचा हूँ, बाकि हिसाब हो चुका है.. बहुत कुछ है, जो मुझमें राख़ हो चुका है..

वो जग़ह मुझे

वो जग़ह मुझे अब भी अज़ीज़ है.. जहाँ मुझे उजाड़ कर बस गए हैं लोग कई..

सोते हुए भी

सोते हुए भी तेरा ज़िक्र करते हैँ……..! मेरे होठ भी तेरी फिक्र करते हैँ……

बहुत तड़पा हूं

बहुत तड़पा हूं खुदाया… तेरे इक बन्दे के पीछे

ज़िन्दगी तस्वीर भी है

ज़िन्दगी तस्वीर भी है और तकदीर भी! फर्क तो रंगों का है! मनचाहे रंगों से बने तो तस्वीर; और अनजाने रंगों से बने तो तकदीर!!

या तो हमें मुकम्मल

या तो हमें मुकम्मल, चालाकियां सिखाई जाएं; नहीं तो मासूमों की, अलग बस्तियां बसाई जाएं!

उसने फिर मेरा हाल पूछा है…

उसने फिर मेरा हाल पूछा है… कितना मुश्किल सवाल पूछा है॥

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