एक एक कतरे से आग सी निकलती है
हुस्न जब नहाता है भीगते महीनों में !!
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नर्म नर्म कलियों का रस निचोड़ लेती हैं
पत्थरों के दिल होंगे इन तितलियों के सीनों में।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
एक एक कतरे से आग सी निकलती है
हुस्न जब नहाता है भीगते महीनों में !!
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नर्म नर्म कलियों का रस निचोड़ लेती हैं
पत्थरों के दिल होंगे इन तितलियों के सीनों में।