एक अरसे से मुयासिर ही नहीं है वो लफ्ज़ , जिसे लोग करार कहते हैं …!!
Tag: जिंदगी शायरी
सहम उठते हैं
सहम उठते हैं कच्चे मकान पानी के खौफ़ से, महलों की आरज़ू ये है कि बरसात तेज हो
सिर्फ महसूस किये जाते हैं
सिर्फ महसूस किये जाते हैं कुछ एहसास कभी लिखे नहीं जाते..।।
तुम तो डर गए
तुम तो डर गए एक ही कसम से..! हमें तो तुम्हारी कसम देकर हजारो ने लूटा है..!
सवाल ज़हर का
सवाल ज़हर का नहीं था वो तो हम पी गए तकलीफ लोगो को बहुत हुई की फिर भी हम कैसे जी गए
इक चेहरा पड़ा मिला
इक चेहरा पड़ा मिला मुझे, रास्ते पर, जरूर किरदार बदलते वक्त गिरा होगा|
बदलवा दे मेरे
बदलवा दे मेरे भी नोट ए ग़ालिब, या वो जगह बता दे, जहां कतार न हो..
वो बुलंदियाँ भी
वो बुलंदियाँ भी किस काम की जनाब, जहाँ इंसान चढ़े और इंसानियत उतर जाये ।
मुझे मजबूर करती हैं
मुझे मजबूर करती हैं यादें तेरी वरना… शायरी करना अब मुझे अच्छा नहीं लगता।
हम रोऐ भी …
हम रोऐ भी …..तो वो जान ना सके…. और वो ….उदास भी हुऐ …..तो हमें खबर हो गई