जाने क्यूँ आजकल, तुम्हारी कमी अखरती है बहुत यादों के बन्द कमरे में, ज़िन्दगी सिसकती है बहुत पनपने नहीं देता कभी, बेदर्द सी उस ख़्वाहिश को महसूस तुम्हें जो करने की, कोशिश करती है बहुत..
Tag: हिंदी शायरी
हक़ हूँ में
हक़ हूँ में तेरा हक़ जताया कर, यूँ खफा होकर ना सताया कर..
बेहिसाब झूठ कहा
बेहिसाब झूठ कहा तो खुदा मान बैठे.. जरा सा सच बोल दिया बुरा मान बैठे…
कितना प्यार है
कितना प्यार है तुमसे, वो लफ्ज़ों के सहारे कैसे बताऊँ, महसूस कर मेरे एहसास को, अब गवाही कहाँ से लाऊँ।
कोई ख़ुशबू नहीं
कोई ख़ुशबू नहीं, साया नहीं, यादें नहीं पीछे, मगर आहट किसी की है…कि मुड़कर देख लेता हूं…!!
जिस रिश्ते को बनाए
जिस रिश्ते को बनाए रखने की चाहत दोनो तरफ़ से एक जैसी ना हो ,उसका टूट जाना बेहतर है ….!!
किसी और का हाथ
किसी और का हाथ कैसे थाम लूँ.. तू तन्हा मिल गई तो क्या जवाब दूँगा..
जब भी जिंदगी रुलाये
जब भी जिंदगी रुलाये समझना गुनाह माफ़ हो गये, और जब भी जिंदगी हँसाये समझना दुआ कुबूल हो गयी !!
सोचा था घर बनाकर
सोचा था घर बनाकर बेठुंगा सुकून से, पर घर की जरूरतों ने मुसाफिर बना डाला..!!
बहुत सोचना पड़ता है
बहुत सोचना पड़ता है अब मुँह खोलने से पहले,, क्यूंकि अब दुनियाँ दिल से नहीं दिमाग से रिश्ते निभाती है …!!