ख़ुद को बिखरते देखते हैं

ख़ुद को बिखरते देखते हैं कुछ कर नहीं पाते हैं फिर भी लोग ख़ुदाओं जैसी बातें करते हैं

दबे पाँव आती रही

दबे पाँव आती रही यादें सब तुम्हारी, एक बार भी यादों के संग तुम नहीं आये…

भांप ही लेंगे

भांप ही लेंगे, इशारा सरे महफ़िल जो किया…..! ताड़ने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं….

अच्छा हैं आँखों पर

अच्छा हैं आँखों पर पलकों का कफ़न हैं.. वर्ना तो इन आँखों में बहुत कुछ दफन हैं.!

वो लोग अपने आप में

वो लोग अपने आप में कितने अज़ीम थे जो अपने दुश्मनों से भी नफ़रत न कर सके

हर रात मैं लिखूं….

हर रात मैं लिखूं…. ज़रूरी तो नहीं…. कभी-कभी लफ्ज़ भी सोया करते है…

खो गई है

खो गई है मेरे यार के चेहरे की चमक…..! चाँद निकले तो जरा उसकी तलाशी लेना….

पलको पे बिठा के

पलको पे बिठा के रखेगे ससुराल वाले…. मालूम ना था बाबा भी झूठ बोलेगे…..

किसी ने कहा आपकी आँखे

किसी ने कहा आपकी आँखे बड़ी खूबसूरत है, मैने कह दिया कि, बारिश के बाद अक्सर मौसम सुहाना हो जाता है।

गिरा दे जितना पानी

गिरा दे जितना पानी तेरे पास है बादल.. कयामत तक ये प्यास नही बुझने वाली ..

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